रायसेन – (ईपत्रकार.कॉम) |जिले में मीजल्स-रूबेला टीकाकरण अभियान के अंतर्गत 15 जनवरी से 09 माह से 15 वर्ष तक की आयु के बच्चों को मीजल्स-रूबेला टीका लगाया जाएगा। कलेक्टर श्रीमती एस प्रिया मिश्रा ने जिले के सभी नागरिकों से अपने 9 माह से 15 वर्ष तक के बच्चों को अनिवार्य रूप से मीजल्स-रूबेला एमआर टीका लगवाने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि 15 जनवरी से प्रारंभ हो रहे मीजल्स-रूबेला अभियान को सफल बनाने में सभी नागरिकों की भागीदारी आवश्यक है।
इस राष्ट्रव्यापी अभियान के अंतर्गत खसरा तथा रूबैला से सुरक्षा प्रदान करने के लिए खसरा-रूबैला एमआर का टीका 15 जनवरी से जिले के सभी शासकीय एवं अशासकीय स्कूलों, आंगनबाड़ियों तथा सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों में 09 माह से 15 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों में लगाया जाएगा, भले ही बच्चों को पहले भी एमआर/एमएमआर का टीका लगाया जा चुका है। खसरा रोग के निर्मूलन तथा रूबैला को नियंत्रित करने के लिए 09 माह से 15 वर्ष तक के बच्चों को यह टीका दिया जाना आवश्यक है। खसरा एक जानलेवा रोग है तथा यह वायरस द्वारा फैलता है। बच्चों में खसरे के कारण विकलांगता तथा असमय मृत्यु हो सकती है। खसरा एक बेहद संक्रामक रोग है तथा यह इससे प्रभावित व्यक्ति के खॉसने या छीकनें से फैलता है। चेहरे तथा शरीर पर गुलाबी लाल दाने या चकत्ते होना, अत्याधिक बुखार, खांसी, नाक बहना और ऑखे लाल हो जाना खसरे के लक्षण है।
इसी प्रकार रूबैला एक संक्रामक रोग है तथा यह वायरस के कारण फैलता है। इसके लक्षण खसरा रोग जैसे ही होते हैं और यह लड़के या लड़की दोनों को ही संक्रमित कर सकता है। बच्चों में यह रोग आमतौर पर हल्का होता है जिसमें खारिश, कम डिग्री का बुखार, मिचली और हल्के नेत्र-शोध के लक्षण दिखाई पड़ते हैं। कान के पीछे और गर्दन में सूजी हुई ग्रंथियां सबसे विशिष्ट चिकित्सकीय लक्षण होते हैं। यदि कोई महिला गर्भावस्था के शुरूआती चरण में इससे संक्रमित हो जाए तो कंजेनिटल रूबैला सिंड्रोम (सीआरएस) हो सकता है जो कि महिला के भू्रण तथा नवजात शिशु के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।