कोरोना को रोकने में सफल है रूस की वैक्सीन ‘स्पुतनिक 5’- लैंसेट

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दुनिया की जानी मानी मेडिकल रिसर्च जर्नल लैंसेट ने रूस के द्वारा तैयार की गई कोरोना की वैक्सीन ‘स्पुतनिक 5’ को लेकर विस्तार से एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। लैंसेट का दावा है कि रूस की ये वैक्सीन कोरोना के शुरुआती मरीजों के शरीर में एंटीबॉडी डेवल्प करने में मददगार है और ये वैक्सीन हर आयु के मरीजों पर प्रभावी रही है। रूस की इस वैक्सीन को लेकर काफी सवाल उठाए जा रहे थे। रूस ने अब इस मेडिकल जर्नल की रिपोर्ट के हवाले से उन आलोचनाओं का जवाब दिया है।

लैंसेट की रिपोर्ट के मुताबिक जून और जुलाई महीने में 76 मरीजों पर वैक्सीन का ट्रायल किया गया और ये दवा मरीजों पर 100 फीसदी प्रभावी रही और इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं हुआ। इस वैक्सीन को लेकर 42 दिन तक ट्रायल किया गया और इस ट्रायल में 39 स्वस्थ लोगों को भी शामिल किया गया और इस ट्रायल के दौरान प्रतिभागियों के शरीर में किसी तरह को कोई साइड इफेक्ट नहीं हुआ।

रिसर्च जर्नल इस वैक्सीन को लेकर 42 दिन तक ट्रायल किया गया और इस ट्रायल में 39 स्वस्थ लोगों को भी शामिल किया गया और इस ट्रायल के दौरान प्रतिभागियों के शरीर में किसी तरह को कोई साइड इफेक्ट नहीं हुआ। कोरोना की इस वैक्सीन का नाम सोवियत यूनियन द्वारा अंतरिक्ष में भेजे गए पहले सैटेलाइट स्पुतनिक 5 के नाम से दिया गया है। हालांकि पश्चिमी देशों के कई विशेषज्ञों ने अंतराष्ट्रीय स्तर पर इस वैक्सीन की जांच होने और इसे मान्यता मिलने तक वैक्सीन का इस्तेमाल ना करने की चेतावनी दी थी लेकिन अब दुनिया की इस जानीमानी रिसर्च जर्नल में रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद आलोचकों का विरोध ठंडा पड़ सकता है।

इस वैक्सीन के निर्माण के लिए वित्तीय मदद दे रहे रूस के रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड के प्रमुख किरिल दमित्रिव ने कहा कि लैंसेट में प्रकाशित हुई इस रिपोर्ट से वैक्सीन के आलोचकों को जवाब मिल गया है और इस वैक्सीन के निर्माण के लिए वित्तीय मदद दे रहे रूस के रशियन डायरेक्ट इन्वेसटमेंट फंड के प्रमुख किरिल दमित्रिव ने कहा कि लैंसेट में प्रकाशित हुई इस रिपोर्ट से वैक्सीन के आलोचकों को जवाब मिल गया है और ये आलोचना रूस द्वारा तैयारी की गई वैक्सीन की छवि बिगाड़ने के लिए हो रही थी।

उन्होंने कहा कि दवा के बड़े पैमाने पर परीक्षण के लिए 3 हजार लोगों को चुना गया है और इस ट्रायल के नतीजे अक्टूबर- नवंबर तक सामने आ जाएंगे। इस बीच जॉन हॉपकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में अंतरराष्ट्रीय वैक्सीन एक्सेस सेंटर के प्रमुख लेखक डॉ नोर बार जीव ने कहा कि शुरुआती ट्रायल के नतीजे उत्साह जनक हैं लेकिन ये ट्रायल की संख्या कम है। उन्होंने कहा कि कोरोना के लिए तैयार हो रही वैक्सीन की क्लिनिकल प्रभाव अभी पूरी तरह सामने नहीं आए हैं।

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