सुप्रीम कोर्ट में ओडिशा के पुरी के जगन्नाथ मंदिर के मेंटेनेंस केस पर ओडिशा सरकार की ओर से स्टेटस रिपोर्ट सौंप दी गई और इस मामले पर राज्य सरकार का कहना है कि मंदिर के आसपास की व्यवसायिक गतिविधियों को कहीं और शिफ्ट किया जाएगा. सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने मंदिर प्रबंधन को फटकार भी लगाई कि लोग वहां अपना पर्स संभालें या फिर दर्शन करें.
ओडिशा सरकार के सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में मंदिर के रखरखाव को लेकर दाखिल अपने हलफनामे में कहा कि काम जारी है और मंदिर के करीब होने वाली व्यवसायिक गतिविधियों को पास ही कहीं और शिफ्ट कराया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जीबी पटनायक की अगुवाई में सुपरविजन कमिटी का गठन किया गया है.
सेवकों को मिले पारिश्रमिक
सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि सुपरविजन कमिटी के सुझावों पर विचार करना होगा, साथ ही जस्टिस जीबी पटनायक से इस संबंध में बात करनी होगी. इसको लेकर एक योजना तैयार किया जाए और प्रबंधन को लेकर रिपोर्ट दाखिल करें.
जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि परंपरा को रोका नहीं जा सकता. पहले एक कमिटी का गठन किया जाए और इसे उनके सामने ले जाएं, उनकी राय लें और फिर मंदिर समिति को सूचित करें.
याचिका दाखिल करने वाले की तरफ से वकील ने कहा कि वहां के सेवकों को लेकर कुछ किया जाना चाहिए. उन्हें पारिश्रमिक के रूप में दी गई राशि के जरिए वे अपने जीवन को बनाए नहीं रख सकते.
शुक्रवार को आएगा फैसला
इस संबंध में विस्तृत आदेश शुक्रवार को सुनाए जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने जगन्नाथ मंदिर मैनेजमेंट पर निशाना साधते हुए कहा कि वैष्णों देवी या तिरुपति में कोई धक्का-मुक्की नहीं होती. जबकि जगन्नाथ मंदिर में पुजारी लोगों से अपना पर्स बचाने की सलाह देते रहते हैं. कोर्ट ने नाराजगी दिखाते हुए कहा कि लोग अपना पर्स संभालें या फिर दर्शन करें. यह चौंकाने वाली बात है.
कोर्ट ने यह भी सुझाव दिया कि मंदिर मैनेजमेंट को भीड़ पर नियंत्रण करने का बेहतर विकल्प तलाशना चाहिए. कोर्ट अब शुक्रवार को इस पर फैसला करेगा कि इन चीजों पर नजर बनाए रखने के लिए कमिटी का गठन किया जाए या नहीं.