CCI के लगाए 591 करोड़ जुर्माने के खिलाफ अपील करेगा कोल इंडिया

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कोल इंडिया एक बार फिर कॉम्पिटिशन अपिलेट ट्राइब्यूनल (कॉम्पैट) में कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) के उस हालिया आदेश के खिलाफ अपील करेगी, जिसमें उसने कंपनी पर 591 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। सीसीआई ने पिछले हफ्ते कोल इंडिया पर जुर्माना लगाया था। कोल इंडिया के एक बड़े अधिकारी ने बताया, ‘कोल इंडिया इस मामले को सही मंच तक ले जाएगा। हमारे पास कॉम्पैट या सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्ता खुला है।’ कोल इंडिया 60 दिनों के अंदर याचिका दायर कर सकता है क्योंकि सीसीआई ने उसे दो महीने के अंदर यह पैसा चुकाने को कहा है। हालांकि, कैट या सुप्रीम कोर्ट सीसीआई के आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हैं तो कोल इंडिया को 60 दिनों के अंदर जुर्माना नहीं देना पड़ेगा।

कोल इंडिया और उसकी तीन सब्सिडियरीज के खिलाफ नए सिरे से जांच का आदेश दिए जाने के बाद कंपनी के खिलाफ फैसला आया है। 2012 में एक आदेश में सीसीआई ने कंपनी पर 1,773 करोड़ रुपये की पेनल्टी लगाई थी। तब उसने कथित तौर पर भेदभाव वाली शर्तों को फ्यूल सप्लाई अग्रीमेंट्स से हटाने का निर्देश दिया था। कोल इंडिया ने इस फैसले को कॉम्पैट में चुनौती दी थी। फ्यूल सप्लाई अग्रीमेंट्स ऐसे कॉन्ट्रैक्ट्स होते हैं, जो कोल इंडिया की सब्सिडियरी कोयले की सप्लाई के लिए पावर कंपनियों के साथ करती हैं।

महाराष्ट्र स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी और गुजरात स्टेट इलेक्ट्रिसिटी कॉर्पोरेशन ने कोल इंडिया और उसकी सब्सिडियरीज महानदी कोलफील्ड्स, वेस्टर्न कोलफील्ड्स और साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के खिलाफ याचिका दायर की थी और इस बारे में कई सूचनाएं मुहैया कराई थीं। इनके आधार पर सीसीआई ने कोल इंडिया के खिलाफ फैसला दिया था। सीसीआई ने पहले कहा था कि सीआईएल और उसकी सब्सिडियरीज ने अपने दबदबे का गलत इस्तेमाल किया था और उन्होंने फ्यूल सप्लाई अग्रीमेंट्स में अनुचित और भेदभाव वाली शर्तें डाली थीं।

उनसे नई और पुरानी और प्राइवेट एवं पब्लिक सेक्टर की बिजली कंपनियों के साथ एक जैसा व्यवहार करने को भी कहा गया था। सीसीआई ने कहा था कि जहां तक संभव हो, सभी कंपनियों के साथ एक जैसा व्यवहार करने की कोशिश होनी चाहिए। इसके अलावा, सीआईएल से जॉइंट सैंपलिंग और टेस्टिंग के लिए फ्यूल सप्लाई अग्रीमेंट्स में वाजिब बदलाव करने को भी कहा गया था। कोल इंडिया को बिजली कंपनियों के साथ बातचीत कर इन मामलों में बेस्ट इंटरनैशनल प्रैक्टिस को अपनाने की संभावना तलाशनी होगी।

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