पहले रमज़ान (Ramadan) का महीना सर्दियों में आता था। जाहिर है सर्दियों में रोजे रखना भी आसान है। लेकिन अब यह महीना भीषण गर्मी में आता है। गर्मियों में कड़ी धूप, पसीना और प्रदूषण के बीच 14 से 15 घंटे भूखे-प्यासे रहकर रोजेदार को कड़ी परीक्षा देनी पड़ती है। मध्य पूर्व और अफ्रीका के कई मुस्लिम देशों में, गर्मियों में तापमान बहुत अधिक होता है। यहां रमज़ान के दिनों रोजेदारों की हालत ज्यादा गंभीर हो जाती है।
उत्तरी यूरोपीय देशों जैसे आइसलैंड, नॉर्वे, और स्वीडन में गर्मियों में रोजे का समय औसतन 20 घंटे या उससे अधिक भी चला जाता है। इतना ही नहीं, आर्कटिक सर्कल के ऊपर कुछ स्थानों पर गर्मियों में सूरज कभी डूबता नहीं है। ऐसे में मुस्लिम अधिकारियों को निकटतम मुस्लिम देश के साथ रमज़ान रखने का फैसला करते हैं या सऊदी अरब के नियम को फॉलो करते हैं।