UP-MP की तरह बिहार के पूर्व CM भी खाली करें सरकारी बंगला: हाई कोर्ट

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उत्तर प्रदेश के बाद अब बिहार में भी पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन मिले बंगले को खाली करने पड़ेगा. पटना हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को दिए गए सरकारी बंगले की सुविधा को समाप्त कर दिया है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एपी शाही ने इस मामले में मंगलवार को अहम फैसला सुनाया और पूर्व सीएम को आजीवन आवास की मिलने वाली सुविधा को असंवैधानिक और सरकारी धन का दुरुपयोग बताया.

पटना हाई कोर्ट के फैसले के बाद अब पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास छोड़ने पड़ेंगे. इसमें पूर्व सीएम राबड़ी देवी, लालू प्रसाद यादव, जीतन राम मांझी, जगन्नाथ मिश्रा और सतीश प्रसाद सिंह के नाम शामिल हैं. ये सभी बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं.

दरअसल इस साल 7 जनवरी को आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के सरकारी बंगले को लेकर विवाद की सुनवाई के दौरान पटना हाई कोर्ट ने स्वत संज्ञान लेते हुए सवाल पूछा आखिर बिहार में पूर्व मुख्यमंत्री किस कानून के तहत आजीवन आवास की सुविधा का इस्तेमाल कर रहे हैं?

पटना हाई कोर्ट ने इस मुद्दे लेकर सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को नोटिस भी जारी किया था. मुख्य न्यायाधीश ए पी शाह की खंडपीठ ने सवाल पूछा कि आखिर क्यों नहीं सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को मिलने वाली आजीवन सरकारी आवास की सुविधा समाप्त की जाए ?

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जब 2014 में इस्तीफा दे दिया था और तकरीबन 9 महीने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री रहे थे. इस दौरान उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर 7, सर्कुलर रोड का बंगला आवंटित किया गया था. हालांकि, पटना हाईकोर्ट के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को नोटिस जारी करने से ठीक पहले नीतीश कुमार ने इस बंगले को खाली कर दिया था. इसके बाद इसे बंगले को बिहार के मुख्य सचिव दीपक कुमार के नाम पर आवंटित कर दिया गया.

इस मामले में आखिरी सुनवाई 11 फरवरी को हुई थी जिसमें दोनों तरफ से बहस सुनने के बाद पटना हाई कोर्ट ने अपना निर्णय सुरक्षित रखा था.

दरअसल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2009 में कानून बनाकर यह व्यवस्था की थी कि सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी आवास के साथ साथ अन्य सुविधाएं मिलती रहेंगी. ऐसी ही सुविधा उत्तर प्रदेश में भी मिल रही थी.

पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने भी उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी आवास की सुविधा को लेकर बड़ा फैसला दिया था. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यूपी के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को अपना आवास खाली करना पड़ा था जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, राजनाथ सिंह, कल्याण सिंह, मुलायम सिंह, मायावती और नारायण दत्त तिवारी का नाम शामिल था.

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