सीधी – (ईपत्रकार.कॉम) |हमारे समाज में अब छुआछूत एवं अस्पृश्यता कहीं नहीं बची है। थोडी बहुत यदि समाज में यह बुराई शेष है तो समाज के निचले स्तर पर है और इसे दूर किया जा सकता है जब समाज के सभी व्यक्ति शिक्षित हो जायेगे साथ ही आपसी सौहार्द एवं भाईचारे से यह बुराई दूर की जा सकती है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने छुआछूत की इस बुराई को दूर करने के लिये लोगो के बीच अलख जगाई,जागरूक किया और कहा कि भगवान के सभी लोग बराबर है न कोई उंचा है और न कोई नीचा। उन्होने अनुसूचित जाति वर्ग को एक पहचान दी उन्हे हरिजन कहा हरिजन का शाब्दिक अर्थ हरि यानि भगवान का जन है। उक्ताशय का सबोंधन विधायक केदारनाथ शुक्ल ने पडरा हाईस्कूल में आयोजित अस्पृश्यता निवारण एवं सदभावना शिविर में दिया।
शिविर में कलेक्टर दिलीप कुमार, पुलिस अधीक्षक आबिद खान, जनपद सदस्य रामनाथ चौधरी, सरपंच श्रीमती कुसुम जैयसवाल, के.के.तिवारी, राजेन्द्र सिंह भदौरिया, कृषि के उपसंचालक के.के पाण्डे, उपसंचालक पशु चिकित्सा एम.पी.गौतम,सहायक आयुक्त आदिवासी विकास के.के.पाण्डे सहित जनप्रतिनिधि एवं जिला अधिकारी उपस्थित थे।
विधायक श्री शुक्ल ने कहा कि महात्मा गांधी ने छुआछूत दूर करने के लिये न केवल समाज में जागृति पैदा की बल्कि व्यवहारिक रूप से स्वयं भी अपनाया। उन्होने उदाहरण देकर बताया कि बसोर जाति के दम्पति उनसे आसरा मागने आये तो बापू ने उन्हे अपने आश्रम में ही रख लिया और रसोई का काम दे दिया। इससे कुछ लोग नाराज हुये तो बापू ने कहा कि मै उनसे रसोई से हटने के लिये नहीं कहूगां। बसोर दम्पति के व्दारा लगातार भोजन बनाया जाता था। उनकी यही सोच थी कि सभी मानव है और सभी एक समान है। विधायक श्री शुक्ल ने कहा कि सामजिक समरसता के साथ ही शिक्षा जागरूकता लाने में बहुत बडी भूमिका निभायेगी। यदि आप शिक्षित होगे तो समाज आपको मान देगा और सम्मान भी देगा न तो जाति पाति का कोई भेद रहेगा और न छुआछूत अतःसभी शिक्षित हो। गांधी जी ने भी कहा था कि पढों और आगे बढों। उन्होने कहा कि वे भी सभी के साथ समान व्यवहार करते है। जो भी अपनी समस्या लेकर उनके पास आता है वे उसे बकायदा बिना किसी भेदभाव के कुर्सी में बैठाते है और संवेदनशीलता के साथ उसकी समस्या का निराकरण करते है।
कलेक्टर दिलीप कुमार ने संबोधित करते हुये कहा कि पूर्व में सामाजिक कुरीतियों के रूप में धर्म,जाति,भाषा के नाम पर विभेद होते रहे है। लेकिन आज जाति-पाति एवं छुआछूत का भेद बहुत कम लगभग न के बराबर बचा है। इसके लिये समय-समय पर शासन ने कानून बनाकर अनेक सजा का भी प्रावधान किया है। मध्यप्रदेश शासन ने छुआछूत एवं जाति विभेद दूर करने के लिये प्रावधान किया है कि यदि कोई अनुसूचित जाति या जनजाति का युवक किसी सामान्य जाति की कन्या के साथ विवाह करता है तो उसे 2 लाख रूपये प्रोत्साहन राशि के रूप में दी जायेगी। इस बुराई को दूर करने के लिये यदि हम संकल्पित हो तभी आयोजन की सार्थकता है।
कार्यक्रम के अंत में आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त के.के.पाण्डे ने आभार प्रदर्शन किया। कार्यक्रम का संचालक व्याख्याता डी.के.दुवेदी ने किया। शिविर के अंत में सदभावना सहभोज का आयोजन किया गया।