अयोध्या: मंदिर में रोजा इफ्तार, महंत ने पेश की सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल

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बाबरी विध्वंस और राम मंदिर निर्माण के विवादों से घिरी अयोध्या नगरी में सांप्रदायिक सौहार्द की खबर आई है. अयोध्या के वशिष्ठ कुंड क्षेत्र के सरयू कुंज मंदिर में रोजा इफ्तार का आयोजन किया गया. धार्मिक नगरी और उत्तर प्रदेश के सबसे संवेदनशील जगहों में शुमार अयोध्या की यह खबर देश की गंगा-जमुनी तहजीब की मिशाल पेश करती नजर आ रही है.

लगभग एक दशक पहले महंत ज्ञानदास ने जब हनुमान गढ़ी में रोजा इफ्तार का कार्यक्रम आयोजित किया, तब अयोध्या में बड़े विवाद का जन्म हुआ. अब देखना यह है कि अयोध्या के मंदिर में रोजा इफ्तार के बाद विवाद का यह सिरा कितनी दूर तक जाता है. हालांकि, रोजा इफ्तार कार्यक्रम आयोजित करने वाले मंदिर के महंत हों या रोजेदार मुस्लिम सम्प्रदाय के लोग, इसे दोनों कौमों के बीच सद्भावना के लिए मील का पत्थर बताया जा रहा है.

इस कार्यक्रम में शामिल हुए एक रोजेदार मोहम्मद तुफैल का कहना है कि विवादित स्थल के बगल में ही है रामजानकी मंदिर है, जहां पर विवाद है और पूरी दुनिया में झगड़े की वजह है. वहीं इस मंदिर में रोजा इफ्तार कराके यह एकता और मानवता का संदेश भी दिया जा रहा है कि सभी धर्मों के लोगों को आपस में मिलकर रहना चाहिए.

एक अन्य रोजेदार जीशान ने कहा कि जिस तरह हमलोग मंदिर में नमाज पढ़ सकते हैं, इससे यह मैसेज दिया जाता है कि आप हमारे घर आ सकते हैं. हम आपके घर आ सकते हैं. गंगा-जमुनी तहजीब हम लोगों को यहां से सिखाई जाती है. मैं टीचर भी हूं तो अपने बच्चों को भी यह चीज सिखाता हूं जो समाज मे गंदगी फैल रही है, मानसिकता डैमेज हो रही है उसे सुधारा जाए.

इसी कार्यक्रम में शामिल एक अन्य रोजेदार मुजम्मिल फिजा ने कहा कि हमारे यहां निर्गुण है, वहां मूर्ति की पूजा नहीं हो सकती लेकिन अगर आप आध्यात्मिक रूप से या बैठकर चिंतन मनन करेंगे तो जा सकते हैं.

जिस मंदिर में रोजा इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया था उसके महंत युगल किशोर शरण शास्त्री (महंत सरजू मंदिर) हैं. उन्होंने कहा कि अयोध्या नगरी 1972 से ही हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई की साझा विरासत की नगरी है. यहीं जैन श्वेतांबर का जन्म हुआ था.

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