टीम शारीरिक रूप से थकी हुई थी -कोच माटोस

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फीफा अंडर-17 वर्ल्डकप में गुरुवार को घाना ने भारत को 4-0 से हराकर मेजबान की चुनौती को समाप्त कर दिया। यह भारत की लगातार तीसरी हार है और वो अंक तालिका में खाता खोले बिना ही ग्रुप राउंड में ही टूर्नामेंट से बाहर हो गई है। 3 मैचों में भारतीय टीम ने नौ गोल खाए जबकि सिर्फ 1 गोल दागा, हालांकि खिलीड़ियों को इन बढ़ी-बढ़ी टीमों के खिलाफ खेलकर काॅफी कुछ सीखने को मिला और दर्शको ने टीम के प्रयास को सराहा।

अनुभव भविष्य में कारगर साबित होगा
भारतीय टीम के खिलाड़ियों को इस टूर्नामैंट में बढ़ी-बढ़ी टीमों के खिलाफ खेलकर काॅफी कुछ पता लगा होगा जैसे कि उनके और दूसरी टीम में फिटनेस का कितना अंतर है। उन्हें इन टीमों की सफलता का कारण भी समझ आ चुका होगा और अब उन्हें कोशिश करनी चाहिए कि वो उन खिलाड़ियों के खेल में गुणों को अपनाएं।

कुछ प्रदर्शन हमें हार और जीत की परिभाषा के परे जाने में मजबूर कर देते है। मैच ना जीत पाने के बावजूद कल भारतीय फुटबॉल ने बहुत कुछ जीता। इस देश में इस खेल का भविष्य उज्जवल है।

टीम शारीरिक रूप से थकी हुई थी
टीम के मुख्य कोच लुइस नोर्टन दे माटोस ने मैच के बाद कहा, “भारतीय टीम के खिलाड़ी दूसरों की तरह ही चतुर हैं। यह विश्व कप आई-लीग और आईएसएल से काफी बेहतर था, क्योंकि मैं जानता हूं कि जब आईएसएल टीम स्पेन में चौथी श्रेणी की टीम से खेलने जाती है वो हार जाती हैं।” “हम शारीरिक रूप से काफी थके हुए थे। जब आप शारीरिक रूप से थके होते हैं तो आपका दिमाग काम करना बंद कर देता है और आप छोटी-छोटी गलतियां करते हो। मुझे अपनी टीम पर गर्व है।”

फुटबाॅल की लोकप्रियता बढ़ी
भारतीय टीम जीत तो नहीं दर्ज कर पाई लेकिन अपने हार न मानने वाले जज्बे से दर्शकों का दिल जीता। यह किसी फीफा टूर्नामेंट में भाग लेने वाली पहली भारतीय टीम बन गई है। लोगों को पता था कि भारत बतौर मेजबान टूर्नामैंट में हिस्सा ले रहा है लकिन इसके बावजीद दर्शकों ने टीम इंडिया को जमकर चीयर किया और सोशल मीडिया पर भी पिछले कुछ दिनों से फुटबाल काॅफी चर्चित विषय रहा।

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