ट्रंप सरकार वीजा के बाद ग्रीन कार्ड नियम कड़े करेगी

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ट्रंप प्रशासन ने ऐसे नियम सुझाए हैं जिसके तहत अगर प्रवासी नागरिक चिकित्सा सहायता, फूड स्टाम्प, आवास वाउचर्स और अन्य तरह की सरकारी सहायता का फायदा उठाते हैं तो उन्हें ग्रीन कार्ड देने से इनकार किया जा सकता है। इस नए नियम से अमेरिका में रह रहे हजारों भारतीय बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं। गृह सुरक्षा मंत्री ने इन प्रस्तावित नियमों पर 21 सितंबर को हस्ताक्षर किए हैं और इसे मंत्रालय की वेबसाइट पर डाला गया है। वहीं सिलिकॉन वैली स्थित टेक-इंडस्ट्री और नेताओं ने इसकी आलोचना की है।

नियम के मुताबिक ऐसे प्रवासी जो अपनी स्थिति या वीजा में बदलाव कराना चाहते हैं और जिन्होंने आने के लिए आवेदन दिया है, उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे किसी भी वक्त सरकारी सहायता नहीं लेंगे। वहीं फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट, ड्रॉपबॉक्स, याहू और गूगल जैसी कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाली ‘एफडब्लूडीडॉटयूएस’ ने इसका विरोध किया है। प्रवासियों पर ऐसा निर्णय उस वक्त आया है जब ट्रंप प्रशासन ने कुछ दिन पहले एक संघीय अदालत को बताया है कि वह एच-4 वीजा धारकों के वर्क परमिट को रद्द करने पर अगले तीन माह के अंदर कोई निर्णय ले लेगा। इस नीति का सर्वाधिक लाभ भारतीय अमेरिकी समुदाय के लोगों को मिला है।

यह है ये ग्रीन कार्ड
दरअसल ग्रीन कार्ड नाम की कोई चीज नहीं होती। किसी दूसरे देश से आकर अमेरिका में बसे लोगों को वहां काम करने और रहने के लिए एक कार्ड बनाया जाता है जिसे यूनाइटेड स्टेट्स पर्मानेंट रेसिडेंट कार्ड कहा जाता है।

यह कार्ड उन्हें यूनाइटेड स्टेट्स लॉफुल पर्मानेंट रेजिडेंसी के तहत दिया जाता है। पहले इसे एलियन रजिस्ट्रेशन कार्ड भी कहा जाता था। इसके तहत इमिग्रेंट्स को दिए जाने वाले कार्ड का रंग हरा होता है इसलिए यह ग्रीन कार्ड कहा जाने लगा। जिन लोगों को यह कार्ड मिलता है वो अमेरिका में हमेशा के लिए रह सकते हैं और वहां काम कर सकते हैं।

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