आपने कभी सोचा है कि पहले जमाने में दांतों की समस्या बहुत कम लोगों को होती थी, क्या आपने कभी सोचा है क्यों? पहले लोग ब्रश-पेस्ट का इस्तेमाल नहीं करते थे, बल्कि दातुन से मुंह धोते थे। न उनके दांतो में सेंसिटिविटी की समस्या थी, न ही पीले दांतों की, और न ही सांसो में बदबू की।आज भी गांवों में लोग व्रत या पूजा में ब्रश का इस्तेमाल करने के जगह पर दातुन का इस्तेमाल करते हैं क्योंकि यह जूठी नहीं होती है। यानि बार-बार का इसका इस्तेमाल नहीं होता है, ताजा तोड़कर इस्तेमाल करने के कारण यह शुद्ध और पवित्र होता है।
नियमित रूप से नीम के दातुन से दांतों को साफ करेंगे तो कभी भी कीड़े की समस्या नहीं होगी, क्योंकि यह किटाणुनाशक होता है।
आयुर्वेद के अनुसार यह लघु कषाय कटु एवम् शीत होने के कारण दांतों में सड़न, मुँह में बदबू, पस आदि को होने से रोकती है।
मुँह के छालों को जल्दी ठीक करता है- नीम के दातुन का एन्टी-माइक्रोबायल गुण मुँह के छालों को जल्दी ठीक होने में बहुत मदद करता है और उनका बार-बार आना कम करता है।
नीम के दातुन को अच्छी तरह से धोकर धीरे-धीरे चबाना चाहिए, उससे जो रस निकलता है वह दांतो के दर्द को दूर करता है क्योंकि इसका एन्टी-बैक्टिरीयल, एन्टी-फंगल और एन्टी-वायरल गुण इस क्षेत्र में बहुत काम करता है।
आजकल तरह-तरह के जंक फूड खाने के वजह से दांतों में पीलेपन की समस्या हो गई है। नीम के दातुन से जो रस निकलता है वह दातों के पीलेपन को साफ करके उन्हें सफेद, स्वस्थ और चमकदार बनाता है।
कहते हैं कि दातुन को चबाने से जो चेहरे का व्यायाम होता है उससे फेस पर एक स्लिक लुक आ जाता है।