माँ अहिल्याबाई के द्वारा किये गये कार्य हमारे लिये प्रेरणास्त्रोत – लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन

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माँ अहिल्याबाई का जीवन मानव जाति को सदैव प्रेरणा देता रहेगा। अहिल्याबाई ने पूरे मालवा क्षेत्र को एक माँ के रूप में संस्कारित किया और वह संस्कार मालवा के प्रत्येक व्यक्ति में परिलक्षित होते हैं। इसका अनुभव आप मालवा क्षेत्र में आकर ही करते हैं। भारतवर्ष में आदिकाल से ही किसी भी परिवार में, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म, समाज का रहा हो, माँ का योगदान अतुलनीय रहता है। माँ के बिना किसी भी बच्चे में संस्कार की कल्पना करना भी असंभव है। जिस प्रकार माँ परिवार की केन्द्रीय धुरी होती है, वैसे ही माँ अहिल्याबाई ने मालवा की धरा को पावन किया। माँ की तरह इसका लालन-पालन कर संस्कारों से परिपूर्ण किया। स्वामी विवेकानंद ने भी कहा था कि माँ के बिना इंसान की परिकल्पना संभव नहीं है। माँ अहिल्या की इस पावन भूमि में माँ अहिल्याबाई को माँ के रूप में देखता है। ये आशीष वचन जैन संत श्री शिवमुनि ने माँ अहिल्या उत्सव कार्यक्रम में दिये।

जैन संत श्री शिवमुनि ने कहा कि देश में श्री नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद ईमानदारी, कर्तव्यपरायणता, देशप्रेम और संस्कारों की नई लौ प्रज्जवलित हो रही है। देश प्रगति, सम्मान, स्वाभिमान के साथ आगे बढ़ रहा है। महावीर स्वामी की इस भूमि से सत्य, अहिंसा, धर्म की ध्वजा विश्व को राह दिखा रही है। भगवान श्रीराम ने त्रेता युग और भगवान श्रीकृष्ण ने द्वापर युग में जो आदर्श स्थापित किये थे, वे आज भी भारत भूमि के कण-कण में प्रदर्शित हो रहे हैं। यही कारण है कि देश की युवा पीढ़ी में सदैव संस्कार परिलक्षित होते हैं।

कार्यक्रम में लोकसभा अध्यक्ष एवं सांसद श्रीमती सुमित्रा महाजन ने कहा कि माँ अहिल्याबाई हम सब के लिये देवतुल्य और प्रात:स्मर्णीय है। उनके बताये गये आदर्श हम सबके लिये प्रकाशस्तम्भ के रूप में है, जो अंधकार में हमें दिशा प्रदान करते हैं। अहिंसा, त्याग, प्रेम की प्रतिमूर्ति माँ अहिल्या ने इंदौर को पूरे भारत में व्यापारिक केन्द्र के रूप में स्थापित करने के लिये जो कार्य किये, वह अविस्मरणीय है। यहाँ आने वाले व्यापारियों के लिये धर्मशाला, उनकी सुरक्षा के लिये मार्ग में रूकने का इंतजाम, साथ ही खाने-पीने की व्यवस्था से व्यापारियों में इंदौर के प्रति लगाव बढ़ा। माँ अहिल्या ने होलकर राजवंश की गद्दी संभालने के बाद भगवान शिव की आराधना करते हुए राजकाज संभाला। उनका राज्यकाल होलकर राजवंश के स्वर्णीम काल में गिना जाता है। माँ अहिल्या के हर आदेश में शिव मोहर का होना इस बात को परिलक्षित करता है कि धर्म आधारित सत्ता जो सभी धर्मों के लिए एक समाज व्यवहार करती थी। सभी धर्मों के उत्सवों को मनाने के लिये उपस्थित रहती थी। माँ अहिल्या के बताये गये आदर्श हम सबके लिये मार्गदर्शक का कार्य करते हैं।

कार्यक्रम में नगरीय प्रशासन मंत्री श्रीमती मायासिंह ने कहा कि माँ अहिल्याबाई अदभुत और दैवीय शक्ति की धनी थी। उन्हें भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त था। इतनी विषम परिस्थितियों के बाद भी शांतिपूर्वक और वैभवशाली शासन उनके द्वारा चलाया गया। महेश्वर और इंदौर में समान रूप से शासन व्यवस्थाएं संचालित होती रही। सार्वजनिक जीवन में रहते हुए त्याग और समर्पण के साथ समाज के लोगों का भरण-पोषण करना, शासन व्यवस्था का सुचारू संचालन करना और सादा जीवन जीते हुए राजकाज संभालना, ये ऐसे आदर्श है कि उनका जीवन में अनुसरण कर लिया जाये तो जीवन सफल हो जायेगा।

कार्यक्रम में महापौर श्रीमती मालिनी गौड़, इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री शंकर लालवानी, विधायक श्री सुदर्शन गुप्ता एवं अन्य गणमान्य नागरिक भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में अहिल्या उत्सव समिति के कार्यकारी अध्यक्ष श्री अशोक डागा, सचिव श्री विट्ठलराव गावड़े ने सभी अतिथियों का लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन द्वारा लिखित मातोश्री पुस्तक प्रदान कर अभिनंदन किया। इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ने मालवा की परम्परा अनुसार नगरीय प्रशासन मंत्री श्रीमती माया सिंह को माहेश्वरी साड़ी प्रदान कर आशीर्वाद दिया। कार्यक्रम का मुख्य आयोजन गाँधी हाल में किया गया। कार्यक्रम में माँ अहिल्या पुण्य स्मृति समारोह के दौरान आयोजित की गई विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजेता बच्चों को पुरस्कार भी प्रदान किये गये। साथ ही समाज में विशेष कार्य करने वाले समाजसेवियों को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के बाद माँ अहिल्या की पालकी यात्रा निकाली गई। पालकी में घुड़सवार अहिल्या महिला सेना, होलकर शासकों के प्रतिरूप के रूप में मौजूद रहे। भजन मंडलियां, बोहरा समाज का बैंड एवं आकर्षक झांकियाँ भी निकाली गई।

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