यदि देश तोड़ने वाले सड़क पर उतर सकते हैं तो देश को जोड़ने वाले भी उतर सकते हैं : कठेरिया

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नागरिकता संशोधन कानून को लेकर विपक्षी दलों की राजनीति को समझना जरूरी है। इस कानून में संशोधन पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिराजी, अटलजी और मनमोहनसिंहजी के कार्यकाल में भी लागू हुए लेकिन हल्ला नहीं मचा। आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी हैं जिनके कार्यकाल में इस कानून सहित कई ऐतिहासिक कार्य हो गए हैं। इसलिए इस कानून के नाम पर मोदीजी का विरोध हो रहा है। देश में जब-जब चुनौतियां आई है, तब-तब जागरूक नागरिकों ने सरकार के भरोसे ना रहकर एकजुटता से उनका सामना किया है। इस कानून के विरोध के नाम पर देश तोड़ने वाले सड़क पर उतर सकते हैं तो देश को जोड़ने वाले भी उतर सकते हैं।

यह बात सांसद व राष्ट्रीय अजा आयोग अध्यक्ष (केबीनेट मंत्री दर्जा) रामशंकर कठेरिया ने कही। अध्यक्षता भाजपा जिलाध्यक्ष राजेन्द्रसिंह लुनेरा ने की। शहर विधायक चेतन्य काश्यप, ग्रामीण विधायक दिलीप मकवाना विशेष अतिथि रहे। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देशव्यापी जनजागरण अभियान के तहत् आयोजित प्रबुद्धजन संगोष्ठी को संबोधित करते हुए उन्होंने देश के कई महान लोगों द्वारा कहे गए वचनों का हवाला देते हुए कहा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यक हिन्दू, जैन, सिक्ख, ईसाई, बौद्ध को सम्मान पूर्ण जीवन यापन का अधिकार है और सभी ने इन्हें भारत आने पर शरणार्थी का दर्जा देने के बजाय नागरिकता देकर हर सुविधा देने पर जोर दिया है। संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर ने अनुच्छेद 11 में समय-समय पर संशोधन का जो अधिकार दिया है। उसी के तहत् वर्तमान सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून पास कराया है। उन्होंने कहा कि जिस कानून को देश की लोकसभा ने पास किया। राज्यसभा ने भी पारित कर दिया और राष्ट्रपतिजी ने मुहर लगा दी उसे मानना सबकी जिम्मेदारी है। विडम्बना है कि विपक्षी दलों में कश्मीर से दारा 370 हटने, अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण का रास्ता प्रशस्त होने सहित सरकार के अन्य कार्यों से बोखलाहट है और वे नागरिकता संशोधन कानून को लेकर भ्रम फैला कर देश को तोड़ने का काम कर रहे हैं।

श्री कठेरिया ने कहा कि यह कानून किसी भी दृष्टि से किसी की नागरिकता छीनने का कानून नहीं है इससे 5 वर्ष पूर्व तक देश में आ चुके पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। यह कानून किसी के खिलाफ नहीं अपितु धार्मिक प्रताड़ना के शिकार शरणार्थियों को संरक्षण देने के लिए है। इस कानून को लेकर विपक्षी दलों की राजनीति हर भारतीय को समझना होगी और समर्थन के लिए आगे आना होगा।

संगोष्ठी के आरंभ में स्वागत भाषण देते हुए विधायक चेतन्य काश्यप ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर बेवजह हिंसात्मक माहौल बनाया गया है। देश के नागरिक इस कानून का अहिंसापूर्वक समर्थन कर सरकार के कदम का स्वागत करें। उन्होंने अतिथि परिचय भी दिया। संगोष्ठी का संचालन कार्यक्रम संयोजक अशोक पोरवाल ने किया। आभार प्रदर्शन ग्रामीण विधायक दिलीप मकवाना ने किया। कार्यक्रम सह संयोजक गोविन्द काकानी मंचासीन थे।

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