शिप्रा नदी में निरन्तर रहे पानी

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उज्जैन – ईपत्रकार.कॉम |आगामी समय में मकर संक्रान्ति जैसे महत्वपूर्ण पर्व आने वाले हैं, जिन पर बड़ी संख्या में जनसमुदाय शिप्रा नदी के विभिन्न घाटों पर स्नान करता है। समय-समय पर नर्मदा-शिप्रा लिंक योजना से शिप्रा नदी में जल छोड़ा जाता है, जिससे उज्जैन में शिप्रा का जल स्तर बढ़ता है। सम्बन्धित सभी विभागों के अधिकारी शिप्रा नदी में नर्मदा का जल छोड़े जाने के स्थल से रामघाट उज्जैन तक यह जल पर्याप्त मात्रा में आ सके, ऐसी व्यवस्था करें। कार्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही अक्षम्य होगी। आपसी समन्वय से अधिकारी यह सुनिश्चित करें।

संभागायुक्त श्री अजीत कुमार एवं कलेक्टर श्री शशांक मिश्रा ने आज बुधवार को उज्जैन जिले के शिप्रा के प्रवाह स्थलों से लेकर देवास जिले एवं इन्दौर जिले की सीमा पर स्थित स्थलों का निरीक्षण किया तथा ये निर्देश दिये। इस दौरान जल संसाधन विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, राजस्व विभाग, एनवीडीए विभाग आदि के अधिकारी उनके साथ थे। देवास जिले की सीमा में देवास कलेक्टर डॉ.श्रीकान्त पाण्डेय तथा अन्य अधिकारी उनके साथ थे।

प्रात: 8 बजे की निरीक्षण की शुरूआत
संभागायुक्त श्री अजीत कुमार एवं कलेक्टर श्री शशांक मिश्रा ने सम्बन्धित अधिकारियों सहित अपने निरीक्षण की शुरूआत प्रात: 8 बजे जूना निनौरा ग्राम में शिप्रा नदी पर बनाए गए स्टॉपडेम से की। यहां पर उन्होंने पाया कि नदी का पानी सूखा हुआ है। संभागायुक्त ने जब सिंचाई विभाग के अधिकारी से यह पूछा कि गत दिनों यहां शिप्रा नदी में नर्मदाजी का पानी कब आया था, तब उन्होंने बताया कि नर्मदा-शिप्रा लिंक योजना से इस स्थान तक पानी पहुंचने में लगभग 30 घंटे का समय लगता है। गत दिनों 3 जनवरी को दोपहर 2.50 पर पानी छोड़ा गया था, जो 4 जनवरी को रात्रि लगभग 10 बजे इस स्थान पर पहुंचा था। मार्ग में कई स्थानों पर किसानों द्वारा पानी लिए जाने से पर्याप्त मात्रा में नहीं आया। संभागायुक्त एवं कलेक्टर ने निर्देश दिए कि स्टॉपडेम के सभी गेट खोल दिए जाएं। साथ ही किसानों से आग्रह किया जाए कि वे न तो मार्ग में अवरोध पैदा करें और न ही आगामी पर्व तक पानी लें। इस कार्य की निगरानी एडीएम श्री जीएस डाबर करें।

इसके पश्चात संभागायुक्त एवं कलेक्टर ने ग्राम राव किठोता के समीप शिप्रा नदी के स्टापडेम को देखा। उन्होंने सिंचाई विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि जब-जब नर्मदा-शिप्रा लिंक योजना से शिप्रा नदी में पानी छोड़ा जाए तो इसकी सूचना आसपास के गांव वालों को मुनादी करवाकर तथा अन्य साधनों से आवश्यक रूप से दी जाए, जिससे कि उनके मवेशी आदि को नुकसान न हो। संभागायुक्त ने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को निर्देश दिए कि स्टॉपडेम के सारे गेट खोल दिए जाएं, जिससे कि पानी आसानी से आगे बढ़ सके।

14 के बाद ले लेना पानी
अधिकारियों द्वारा आलमपुर उड़ाना में शिप्रा नदी पर बने डेम का भी निरीक्षण किया गया। उन्होंने निर्देश दिए कि इस बात का ध्यान रखा जाए कि कोई व्यक्ति यहां से मोटर लगाकर पानी नहीं ले। कलेक्टर ने वहां सरपंच भरत शर्मा, ग्रामीण नाथूराम आदि से भी चर्चा की तथा उनसे आग्रह किया कि आगामी मकर संक्रान्ति पर्व पर शिप्रा में पर्याप्त पानी रहे, इसके लिये आवश्यक है कि रास्ते से इसका पानी न लिया जाए, किसान इस पर्व के बाद पानी ले सकते हैं।

खेतों में 2 किमी चलकर पहुंचे चिमली डेम
संभागायुक्त एवं कलेक्टर जिसके बाद शिप्रा नदी अपस्ट्रीम में चिमली डेम (ग्राम खोकरिया) पहुंचे। वहां पहुंचने के लिए अधिकारियों को लगभग 2 किलो मीटर खेतों में चलकर जाना पड़ा। इस स्थान पर शिप्रा नदी में थोड़ा पानी मिला। वहां पाया गया कि स्टापडेम के गेट पूरी तरह नहीं खुले हुए हैं। साथ ही उनके आगे पेड़, झाड़ियां आदि डालकर पानी के प्रवाह में अवरोध उत्पन्न किया गया है। अधिकारियों ने निर्देश दिए कि गेट पूरे खोले जाएं तथा अवरोध हटाए जाएं, जिससे कि पानी आगे बढ़े।

492.3 मीटर पर ले जाएं बैराज का जल स्तर
इसके बाद संभागायुक्त, कलेक्टर एवं अन्य अधिकारी देवास जिले में शिप्रा नदी पर बनाए गए देवास बैराज पर पहुंचे। जब उन्होंने एनवीडीए, सिंचाई विभाग एवं अन्य अधिकारियों से पूछा कि यहां पर जल स्तर कितना हो, जिससे उज्जैन तक शिप्रा नदी में पर्याप्त पानी पहुंच सके। इस पर अधिकारियों ने बताया कि यहां पर जल स्तर 492.3 मीटर होने पर उज्जैन तक पर्याप्त पानी आसानी से पहुंच जाता है। इस पर निर्देश दिए गए कि आगामी 12 तारीख तक यहां पर शिप्रा का जल स्तर 492.3 मीटर तक हो जाए, जिससे 13 तारीख तक उज्जैन शिप्रा नदी में पर्याप्त पानी पहुंच जाए। तदनुसार सभी विभाग कार्रवाई करें।

जलौद डेम भी देखा
देवास बैराज के निरीक्षण के उपरान्त संभागायुक्त श्री अजीत कुमार एवं कलेक्टर श्री शशांक मिश्रा एवं कलेक्टर देवास डॉ.श्रीकान्त पाण्डेय इन्दौर जिले की सीमा पर स्थित जालौद डेम पहुंचे तथा वहां शिप्रा नदी के प्रवाह की स्थिति को देखा। वहां डेम के 4 गेट खुले पाए गए, शेष गेट बन्द थे। इस पर उन्होंने निर्देश दिए कि डेम के सारे गेट खोले जाएं। अधिकारियों को बताया गया कि डेम में ड्रॉपगेट लगे हैं, जिन्हें खोलने में दिक्कत आती है। इस पर निर्देश दिए गए कि वहां चेनपुली लगाकर गेट खोलने की व्यवस्था की जाए।

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