NSG में नाकामी के बीच SCO की सफलता को पीएम मोदी ने बताया ऐतिहासिक

0

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में पूर्ण रूपेण सदस्य के तौर पर भारत के शामिल होने की अंतिम प्रक्रिया शुरू होने के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह साझेदारी क्षेत्र को कट्टरता, हिंसा और आतंकवाद के खतरों से बचाएगी और उसके आर्थिक विकास को संचालित करेगी. एससीओ सम्मेलन में अपने भाषण में मोदी ने कहा कि उर्जा और प्राकृतिक संसाधनों के क्षेत्र में समूह की ताकत से भारत को महत्वपूर्ण तरीके से लाभ होगा और बदले में भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था और बड़ा बाजार एससीओ क्षेत्र में आर्थिक विकास को संचालित कर सकता है.

SCO में भारत की सदस्यता अहम
उन्होंने कहा, ‘एससीओ में भारत की सदस्यता क्षेत्र की समृद्धि में योगदान देगी, यह इसकी सुरक्षा को भी मजबूत करेगी. हमारी साझेदारी हमारे समाजों को नफरत, हिंसा और आतंकवाद की कट्टरपंथी विचारधाराओं के खतरों से बचाएगी.’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारत इस लक्ष्य की दिशा में काम करने के लिए एससीओ के सदस्य देशों के साथ एकजुट होगा और हम सभी स्तरों पर आतंकवाद से लड़ने में कतई बर्दाश्त नहीं करने वाला रवैया और व्यापक सोच अपनाएंगे. भारत ने सम्मेलन में एससीओ के ‘मेमोरेंडम ऑफ ऑब्लिगेशन्स’ पर दस्तखत किए और पूर्ण रूपेण सदस्य के तौर पर समूह में शामिल होने की प्रक्रिया शुरू की.भारत को सदस्यता की प्रक्रिया पूरी करने के लिए साल के अंत तक करीब 30 और दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने होंगे. पाकिस्तान को भी एससीओ में पूर्ण सदस्य के तौर पर शामिल किया जा रहा है.

भारत को एनएसजी की सदस्या पर टला फैसला
गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनएसजी में भारत की सदस्यता के लिए चीन का समर्थन मांगा था. मोदी ने उज्बेकिस्तान के ताशकंद में शंघाई सहयोग संगठन सम्मेलन के इतर चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात करते हुए उनसे भारत के आवेदन का ‘निष्पक्ष और वस्तुनिष्ठ’ तरीके से आकलन करने का अनुरोध किया था. एनएसजी का पूर्ण सत्र शुक्रवार को समाप्त हुआ और भारत की सदस्यता पर कोई फैसला नहीं हुआ क्योंकि चीन के नेतृत्व में विरोध के बीच गैर एनपीटी सदस्यों के प्रवेश पर टकराव बना हुआ है.

SCO में भारत की सदस्यता ऐतिहासिक
प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल एससीओ के उफा सम्मेलन में कहा था, ‘एससीओ के नेताओं ने भारत को पूर्ण रूपेण सदस्य के तौर पर स्वीकार किया. एससीओ के साथ भारत की साझेदारी में यह एक ऐतिहासिक घटनाक्रम था’. मोदी ने कहा कि भारत के एससीओ के देशों के साथ ऐतिहासिक संपर्क हैं. यह संपर्क केवल भौगोलिक नहीं है और हमारे समाज संस्कृति और व्यापार के संपर्क से समृद्ध हुए हैं. वे रूस, चीन और मध्य एशिया के देशों के साथ हमारे आधुनिक संबंधों का आधार हैं. उन्होंने कहा कि एससीओ में पूर्ण सदस्य के तौर पर भारत के शामिल होने के साथ समूह की सीमाएं प्रशांत क्षेत्र से यूरोप तक और आर्कटिक से हिंद महासागर तक विस्तारित होंगी.

भारत के साथ व्यापार बढ़ाने पर फोकस
उन्होंने कहा, ‘हम क्षेत्र में मानव संसाधन और संस्थागत क्षमताएं विकसित करने के लिए साझेदारी कर सकते हैं, हमारी प्राथमिकताएं मिलती हैं, इसलिए हमारे विकास के अनुभव आपकी राष्ट्रीय जरूरतों के संगत होंगे. मोदी ने कहा, ’21वीं सदी की परस्पर-निर्भर दुनिया आर्थिक अवसरों से भरी है. इसके सामने भू-राजनीतिक जटिलताएं और सुरक्षा संबंधी चुनौतियां भी हैं और क्षेत्र के देशों के बीच संपर्क हमारी आर्थिक समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है.’ पीएम की मानें तो भारत को दूसरे देशों के साथ मजबूत रेल, सड़क और हवाई संपर्क भी विकसित करने की जरूरत है. मोदी ने कहा कि भारत अगले साल अस्ताना में एससीओ के सम्मेलन में समान साझेदार के तौर पर शामिल होने के लिए आशान्वित रहेगा.

Previous articleउद्योगों के लिये मप्र में 25 हजार हेक्टेयर का भूमि बैंक
Next articleHP ने भारत में लॉन्च किया सबसे पतला लैपटॉप Spectre 13, कीमत 1,19,990 रुपये

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here