आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप 2019 जल्द ही शुरु होने वाला है। रमजान के दिनों में शुरु होने वाले इस वर्ल्ड कप क्रिकेट टूर्नामेंट में दक्षिण अफ्रीका के बल्लेबाज हाशिम अमला ने खुशी जताई है। अमला ने कहा कि रोजा रखने से अच्छी मानसिक और आध्यात्मिक कसरत हो जाती है। अमला ने आईसीसी की वेबसाइट पर कहा कि इससे मुझे अनुकूलन में मदद मिलती है। साथ ही रोजे रखने के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि “मैं हमेशा से रोजे रखता रहा हूं । यह साल का सबसे अच्छा महीना होता है। मुझे लगता है कि इससे अच्छी मानसिक और आध्यात्मिक कसरत हो जाती है ।’’ आपको बता दें कि अमला 2012 में भी रमजान के दौरान इंग्लैंड में थे जब टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के लिये सबसे ज्यादा टेस्ट रन बनाने का रिकार्ड अपने नाम किया था।
मुस्लिम समाज के लोग इस रमजान के पवित्र महीने में 28 अथवा 29 दिनों तक रोजा रखते हैं। मुस्लिम धर्म में रमजान के इस महीने के सबसे पाक महीना माना जाता है। रमजान के पूरे महीने मुस्लिम समुदाय के लोग अल्लाह की ईबादत करते हैं। यह महीना हर मुस्लिम की जिंदगी को सही राह पर लाने का पैगाम देता है। रमजान में पूरे दिन मुस्लिम लोग भूखे-प्यासे रहकर अल्लाह की इबादत करते हैं और इस महीने खुद को किसी भी तरह की बुराई से बचाकर रखते हैं। और इसी दौरान वह खुद को अल्लाह का नेक बंदा बनाने के लिए सख्त कवायद कर खुद को पाक-साफ रखता है।
रमजान का यह पवित्र महीना तीन हिस्सों में बंटा हुआ है। जिसके हर एक भाग में 10 रोजे तक होते हैं। कहा जाता है कि इन 10 दिनों में खुदा की खूब रहमत बरसती है। आगे के 10 रोजे मगफिरत के कहे जाते हैं। इन 10 दिनों में मुस्लिम समुदाय के लोग खुदा से माफी मांगते हैं और आखिर में जन्नत देने की दुआ मांगते हैं। वहीं रमजान के आखिरी हिस्सा जहन्नुम यानी नर्क की आग से बचने की दुआ के लिए होता है। साथ ही इस दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग रोजे रखकर तरावीह की नमाज और कुरआन शरीफ का पाठ करते हैं। जकात और दान-पुण्य करने पर भी सवाब मिलता है। पवित्र ग्रंथ कुरान की तिलावत करते हैं।