एक साल से निर्देश दे रहा हूं, शिप्रा अभी भी गन्दी है -संभागायुक्त

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उज्जैन – ईपत्रकार.कॉम |मैं गत एक वर्ष से आपको शिप्रा शुद्धीकरण के लिये निर्देश दे रहा हूं, पर आपके कानों में जू भी नहीं रेंग रहा, सब कह रहे हैं शिप्रा को साफ करो, आपको शर्म नहीं आ रही है, लेकिन मुझको तो आ रही है। मैं कहता हूं कार्य करो तो आप करोड़ों के टैण्डर निकाल रहे हैं और काम चालू हो नहीं रहा। अब यदि शिप्रा शुद्धीकरण के कार्य में थोड़ा भी विलम्ब किया, तो निलम्बन सहित अन्य कठोर कार्रवाई के लिए तैयार रहें।

   निरन्तर निर्देशों के बाद भी शासकीय अमले द्वारा शिप्रा शुद्धीकरण का कार्य न करने पर संभागायुक्त श्री एमबी ओझा द्वारा अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए आज मंगलवार को नगर निगम के अधिकारी को ये सख्त निर्देश दिए। संभागायुक्त बृहस्पति भवन में शिप्रा शुद्धीकरण कार्य की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में संयुक्त आयुक्त श्री प्रतीक सोनवलकर, अपर कलेक्टर श्री जीएस डाबर, सीईओ विकास प्राधिकरण श्री अभिषेक दुबे सहित सभी संभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

सेवाभाव से लग जाएं

   संभागायुक्त ने कहा कि शिप्रा उज्जैन की जीवन रेखा है, हमारी पहचान है। इसको शुद्ध रखना हम सबकी शासकीय के साथ-साथ नैतिक एवं सामाजिक जिम्मेदारी भी है। इसके शुद्धीकरण के लिये सभी सेवाभाव से जुट जाएं।
शुद्धीकरण की कार्य योजना प्रस्तुत
बैठक में जल संसाधन विभाग देवास के इंजीनियर श्री योगेन्द्र गिरी ने शिप्रा शुद्धीकरण की कार्य योजना प्रस्तुत की। संभागायुक्त ने निर्देश दिए कि कार्य योजना अनुसार सभी विभाग कार्रवाई प्रारम्भ करते हुए पालन प्रतिवेदन शीघ्र प्रस्तुत करें। शिप्रा शुद्धीकरण न्यास की 21 मई को होने वाली बैठक में इसे प्रस्तुत किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार प्रदेश में नर्मदा शुद्धीकरण अभियान चलाया गया था, उसी प्रकार शिप्रा शुद्धीकरण के लिये कार्य किया जाए।

कार्य योजना के प्रमुख बिन्दु
  • शिप्रा के दोनों तटों पर शासकीय भूमि पर वन विभाग वृक्षारोपण करे। आवश्यकता अनुसार टिशू कल्चर से पौधे तैयार किये जाएं। विकास प्राधिकरण द्वारा वृक्षारोपण के लिये 10 लाख रूपये की राशि दी गई थी, उसका पालन प्रतिवेदन भिजवाया जाए।
  • शिप्रा नदी के दोनों ओर सीमांकन करवाया जाकर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई राजस्व विभाग द्वारा की जाए।
  • सिंचाई विभाग द्वारा घाटों की साफ-सफाई का कार्य किया जाए।
  • किनारे के सभी ग्रामों को खुले में शौच से मुक्त किया जाए।
  • शासन की मनरेगा योजना अन्तर्गत निजी व शासकीय भूमि पर वृक्षारोपण का कार्य कराया जाए।
  • तटीय ग्राम पंचायतों में कचरा प्रबंधन का कार्य कराया जाए।
  • नदी के किनारे निर्माल्य विसर्जन के लिए पृथक से कुण्ड बनाए जाएं।
  • नदी में मिलने वाले नालों तथा कचरा बिन्दुओं की पहचान कर उन्हें नदी में मिलने से रोका जाए।
  • घाटों से दूरी पर मुक्तिधाम स्थापित किए जाएं।
  • नदी के दोनों किनारों पर पर्याप्त संख्या में सार्वजनिक शौचालय बनाए जाएं।
  • दोनों किनारों के ग्राम एवं नगरीय क्षेत्र में कचरे से खाद बनाने के संयंत्र लगाए जाएं।
  • किसानों को जैविक कृषि के लिये प्रेरित किए जाने के साथ ही जो किसान जैविक कृषि करते हैं, उनकी उपज का जैविक प्रमाणीकरण भी हो। खेतों में रासायनिक खाद का कम से कम प्रयोग हो।
  • किसानों को कृषि वानिकी, जल एवं मृदा प्रबंधन के लिए प्रेरित किया जाए।
  • गोबर गैस, बायोगैस, कचरे से गैस आदि के उत्पादन के लिए इकाइयां लगाई जाएं।
  • किनारे के खेतों में मेड़ बंधान कराया जाए। मत्स्य पालन अधिक से अधिक मात्रा में हो।
  • किसानों से उद्यानिकी के लिए वचन पत्र भरवाए जाएं तथा उन्हें फल, फूल एवं सब्जी की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
  • लोगों को नदी के किनारे अपने पितरों की स्मृति में वृक्षारोपण करने के लिए प्रेरित किया जाए।
  • पशुपालन को बढ़ावा दिया जाए।
  • नदी किनारे एवं नदी में अवैध उत्खनन को कठोरता के साथ बन्द करवाया जाए।
  • होटलों से निकलने वाले कचरे एवं गन्दे पानी का निष्पादन होटलों के द्वारा ही किए जाना सुनिश्चित किया जाए।
  • उद्योगों से निकलने वाले कचरे एवं गन्दे जल का निष्पादन उद्योगों द्वारा किया जाए तथा किसी भी स्थिति में यह नदी में न मिले।
  • जल संसाधन विभाग सुनिश्चित करे कि बांध आदि से नदी का बहाव बाधित न हो।
  • जन अभियान परिषद जन-जागरण यात्राएं आयोजित करे तथा ग्राम प्रस्फुटन समितियों का गठन कर लोगों को नदी संरक्षण के लिए प्रेरित करे।
  • पंथपिपलई में वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाए।
  • शिप्रा नदी एवं उसकी सहायक नदियों पर बने सभी स्टॉपडेम्स का संधारण जल संसाधन विभाग द्वारा किया जाए।
  • नृसिंह घाट एवं रामघाट से बड़े पुल तक के क्षेत्र का सौन्दर्यीकरण किया जाए।
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