किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सुचिंतित रणनीति के तहत सभी जरूरी कदम उठाए जाएं– कलेक्टर

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जबलपुर – (ईपत्रकार.कॉम) |कलेक्टर महेशचन्द्र चौधरी ने कहा कि जिले के किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सुचिंतित रणनीति के तहत सभी जरूरी कदम उठाए जाएं। इसके लिए तैयार की गई कार्य-योजना पर अमल सुनिश्चित किया जाए।

श्री चौधरी कलेक्ट्रेट मीटिंग हॉल में आयोजित कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन व मत्स्य पालन विभागों के अधिकारियों की बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। बैठक के पहले चरण में कृषि विभाग के अधिकारियों ने पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन के जरिए जिले में वर्तमान भूमि उपयोग के परिदृश्य पर प्रकाश डाला। साथ ही क्रापिंग इंटेन्सिटी के बारे में जानकारी दी गई। कृषि अधिकारियों ने बताया कि जिले का औसत 146 प्रतिशत राज्य के औसत से कहीं अधिक है। जिले में किसानों की आय दोगुनी करने की कार्य-योजना पर चर्चा के दौरान बताया गया कि इसके लिए धान, गेहूं, मूंग, उड़द, अरहर, मक्का व चना की फसलों पर ध्यान दिया जाएगा। सिंचाई क्षमता में विस्तार, जल प्रबंधन, बीज बचत तकनीक और फसल यंत्रीकरण पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया। वर्तमान प्रचलित फसल चक्र व प्रस्तावित नवीन फसल चक्र के बारे में भी चर्चा की गई। जिले के पाटन व शहपुरा विकासखण्डों में प्रचलित फसल चक्र और प्रस्तावित समन्वित खेती के विकल्पों के बारे में जानकारी प्रस्तुत की गई। कलेक्टर श्री चौधरी ने प्रस्तुत किए गए प्रजेंटेशन में प्रस्तावित संशोधनों को रेखांकित किया। कृषि व उद्यानिकी पर आधारित अंतर्वर्तीय खेती तथा जैविक खेती के बारे में भी विस्तार से चर्चा हुई। श्री चौधरी ने निर्देश दिए कि मौजूदा स्थिति में जिले के विभिन्न क्षेत्रों में पहले से हो रही जैविक खेती के बारे में जानकारी जुटाई जाए।

बैठक के दौरान विभागीय अधिकारियों ने पांच वर्षों में किसानों की आय दोगुनी करने का रोडमैप भी प्रस्तुत किया। उन्होंने तीसरी फसल हेतु सफल प्रयोग के बारे में भी बताया। जिले में अंतर्वर्तीय फसल कार्यक्रम, कृषि यंत्रीकरण, मृदा परीक्षण के आधार पर संतुलित उर्वरकों एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों के उपयोग पर भी विस्तृत विचार-विमर्श हुआ। कृषि विपणन और खरीफ 2017 से लागू की गई भावान्तर भुगतान योजना का भी उल्लेख किया गया। कलेक्टर ने मण्डियों में उचित प्रबंधन सुनिश्चित किए जाने पर जोर दिया। साथ ही उन उपायों पर अमल किए जाने की जरूरत बताई जिनसे किसानों को बेहतर मूल्य मिल सके।

बैठक में उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों ने फल, सब्जी, मसाला व पुष्प के संदर्भ में वर्ष 2016-17 से वर्ष 2020-21 तक के लिए प्रस्तावित रकबे का ब्यौरा दिया। उद्यानिकी फसलों की खेती करने वाले प्रगतिशील कृषकों के आय-व्यय के विवरण के बारे में भी जानकारी दी गई। कलेक्टर श्री चौधरी ने विभागीय अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत रणनीति पर पूरी प्रतिबद्धता से अमल किए जाने की जरूरत पर जोर दिया। जिले में मटर व सिंघाड़ा उत्पादन तथा प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना के सम्बन्ध में भी चर्चा हुई। कलेक्टर ने जानना चाहा कि नर्मदा नदी के दोनों तटों पर एक-एक किलोमीटर क्षेत्र में उद्यानिकी कार्यक्रम के सम्बन्ध में क्या कदम उठाए जा रहे हैं।

बैठक के दौरान पांच वर्षों में कृषकों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य के परिप्रेक्ष्य में पशुपालन से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर भी चर्चा की गई। इस सिलसिले में दूध, अण्डा और मांस उत्पादन में वृद्धि के लिए उठाए जाने वाले कदमों एवं नस्ल सुधार कार्यक्रम के माध्यम से उन्नत नस्ल की संतति के बारे में विचार-विमर्श हुआ। पशु संगणना के विकासखण्डवार आंकड़े प्रस्तुत किए गए। वर्ष 2016-17 से वर्ष 2020-21 तक प्रत्येक वर्ष में दुग्ध उत्पादन में औसत वृद्धि दर व अण्डा उत्पादन में भी प्रत्येक वर्ष में वृद्धि दर के लिए निर्धारित लक्ष्य को लेकर विस्तृत चर्चा की गई। बैकयार्ड कुक्कुट योजना तथा नस्ल सुधार कार्यक्रम के बारे में ब्यौरा प्रस्तुत किया गया। इसके अलावा पशुधन बीमा व पशु उपचार के बेहतर इंतजामों के सिलसिले में प्रस्तावित कदमों की बाबत् कलेक्टर ने सम्बन्धित अधिकारियों से जानकारी तलब की। जिले के समस्त दुग्ध उत्पादक ग्रामों को मिल्क रूट से जोड़ने के लिए जरूरी कदम उठाए जाने के निर्देश भी दिए गए।

बैठक में मत्स्य पालन विभाग द्वारा भी आने वाले पांच वर्षों में मत्स्य कृषकों की आय दोगुनी करने के लिए रोडमैप प्रस्तुत किया गया। मत्स्य पालन की दृष्टि से जिले में उपलब्ध जल संसाधन का विवरण दिया गया। विभागीय अधिकारियों ने विकासखण्डवार उपलब्ध तालाबों की संख्या तथा प्रत्येक के जल क्षेत्र के परिप्रेक्ष्य में मत्स्य पालन के अन्तर्गत क्षेत्र का ब्यौरा भी प्रस्तुत किया। बैठक में मत्स्य बीज उत्पादन और विपणन व्यवस्था सम्बन्धी रणनीति पर भी चर्चा हुई। किचन पौण्ड (बैकयार्ड फिशरीज) के साथ नील क्रांति योजना के तहत वर्ष 2017-18 के लिए प्रस्ताव पर भी विचार-विमर्श किया गया। बरगी नहर के जल रिसाव क्षेत्र में मत्स्य पालन पर भी चर्चा हुई। कलेक्टर श्री चौधरी ने नहर के किनारे के तालाबों में 12 महीने पानी रहने का उल्लेख करते हुए निर्देश दिए कि ऐसे तालाबों को चिन्हित कर इनमें वर्ष भर मछली पालन के लिए जरूरी कदम उठाए जाएं। उन्होंने कहा कि जिले के जलाशयों में मत्स्य उत्पादन की संभावनाओं की पड़ताल की जाए। बैठक में कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन तथा मत्स्य पालन विभागों के सभी वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

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