बच्चों को जानलेवा बीमारियों से बचाने में एमआर टीका सक्षम और सुरक्षित-कलेक्टर

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खरगौन  – ईपत्रकार.कॉम |खसरा एवं जानलेवा रोग है, जो वायरस से फैलता है, जिससे बच्चों में विकलांगता या समय से पूर्व मृत्यू भी हो सकती है। खसरा एक बेहद संक्रामक रोग है। इससे प्रभावित व्यक्ति के खांसने या छिकने भी यह रोग फैलता है। ऐसे जानलेवा बीमारियों को बचाने में एमआर टीका सक्षम और सबसे सुरक्षित है। अब तक यह विश्व के 196 देशों के लगभग 15 करोड़ से अधिक बच्चों को लगाया जा चुका है। इस टीके का कोई भी दुष्परिणाम अब तक सामने नहीं आया है। 9 माह से 15 वर्ष तक के बच्चों में होने वाले रोग व बीमारियों को बचाने के लिए यह अभियान विश्वभर में चल रहा है। अब हमारे बच्चों को खतरनाक व जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए अभियान 15 जनवरी से समस्त स्कूलों व आंगनवाड़ियों में चलाया जाएगा। यह बात कलेक्टर श्री गोपालचंद्र डाड ने बुधवार को उत्कृष्ट विद्यालय में जिले की निजी स्कूलों के प्राचार्यों के साथ बैठक में कहीं। कलेक्टर श्री डाड ने कहा कि बड़ों और बच्चों को भी सुई से डर लगता है। यहीं से हम बड़ों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि डर के कारण कोई भी बच्चा छुटे नहीं। यह बैठक दो चरणों में आयोजित हुई। बैठक में डॉ. संजय भट्ट, स्कूल प्राचार्य श्रीमती ललिता मंडलोई सहित चिकित्सालय का अमला उपस्थित रहा।

वायरस से होने वाली बीमारियों का इलाज नही, बचाव संभव
निजी स्कूलों के प्राचार्यों को संबोधित करते हुए शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. कमल पाटीदार ने कहा कि वायरस से होने वाली बीमारियों को कोई ठोस इलाज नहीं है। यह टीका विश्व स्वास्थ्य संगठन और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा लागू किया गया है। टीका 95 प्रतिशत तक बच्चों के लिए लाभदायक है। इसके आज तक कोई दुष्परिणाम देखने में नहीं आए है। सभी पालक अपने 9 माह से 15 वर्ष तक के बच्चों को टीका लगाने में अपनी जिम्मेदारी निभाएं। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. रमेश नीमा ने कहा कि एक महिने तक यह अभियान समस्त स्कूलों और आंगनवाड़ियों में चलेगा। स्कूलों और आंगनवाड़ियों में टीका लगाने के लिए योजना तैयार कर ली गई है। बचे हुए बच्चों के लिए अलग से मॉपप राउंड चलाया जाएगा।

खसरे को मारने का तरीका है एमआर टीका
मीजल्स रूबैला टीके को लेकर निजी स्कूलों के प्राचार्यों को संबोधित करते हुए डॉ. अनुपम अत्रे ने कहा कि खसरे को मारने का तरीका एमआर टीका है। यह अभिभावकों और पालकों सहित अपनी-अपनी संस्थान में शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चों के प्रति प्राचार्यों की भी जिम्मेदारी है कि वह बच्चों को इस तरह का टीका आवश्यक रूप से लगवाएं। ऐसे बच्चे जिन्हें अत्यधिक बुखार या गंभीर बीमारी हो, जो अस्पताल में भर्ती हो और ऐसे बच्चे, जिन्हें कभी खसरा-रूबैला के टीके से गंभीर एलर्जी होने की आशंका हो, उन्हें टीकाकरण नहीं किया जाएगा।

उपस्थित नहीं होने वाले प्रचार्यों को शौकॉज
कलेक्टर श्री डाड ने सीएमएचओ डॉ नीमा को निर्देश दिए कि जिन संस्थाओं के प्राचार्य इस बैठक में उपस्थित नहीं हुए है। उनकी सूची प्रदान की जाए। डॉ नीमा ने बताया कि जिले में 634 प्रायवेट स्कूल के प्राचार्यों को बुलाया गया था, जिनमें से 417 प्राचार्य उपस्थित हुए। वहीं 217 प्राचार्य अनुपस्थित रहे, जिन पर कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। कलेक्टर श्री डाड ने संबोधन में ही निर्देश दिए थे कि जो प्राचार्य उपस्थित नहीं हुए है उन्हें शौकॉज नोटिस दिया जाएगा।

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