भूमि सुधार आयोग के अध्यक्ष श्री दाणी ने ली जनप्रतिनिधियों व अधिवक्ताओं की बैठक

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भिण्ड – ईपत्रकार.कॉम |नया भूमि प्रबंधन अधिनियम तैयार करने के मकसद से राज्य भूमि सुधार आयोग द्वारा सुझाव लिए जा रहे हैं। इस क्रम में राज्य भूमि सुधार आयोग के अध्यक्ष श्री आई एस दाणी ने भिण्ड में जनप्रतिनिधियों एवं अधिवक्ता संघ के पदाधिकारियों व प्रतिनिधियों की अलग-अलग बैठक लेकर भू-राजस्व संहिता में प्रस्तावित संशोधनों के संबंध में सुझाव लिए।

गुरूवार को यहाँ कलेक्टर कार्यालय भिण्ड के सभाकक्ष में आयोजित हुई पृथक-पृथक बैठको में भूमि सुधार आयोग की वरिष्ठ सलाहकार श्रीमती वीणा घाडेकर व श्री अशोक कुमार सिंह तथा सदस्य सचिव श्री अशोक कुमार गुप्ता भी मौजूद थे। साथ ही जनप्रतिनिधियों एवं अधिवक्ताओं की अलग-अलग बैठको में क्रमशः जिला पंचायत अध्यक्ष श्री रामनारायण हिण्डोलिया, बार एसोशिएशन के अध्यक्ष श्री नरेन्द्र चौधरी, जिला पंचायत के उपाध्यक्ष श्री महाराज सिंह कुशवाह, नगर पालिका की अध्यक्ष श्रीमती कलावती मिहोलिया, गोहद श्री भीकम सिंह कौशल, मेहगांव श्रीमती ममता भदौरिया, जनपद अध्यक्ष भिण्ड श्रीमती संजू जाटव, गोहद श्रीमती प्रवेशी देवी गुर्जर, पार्टी पदाधिकारी श्री दशरथ सिंह गुर्जर, श्री ओमप्रकाश पुरोहित, सहित संयुक्त कलेक्टर श्री सुनील शर्मा, बार एसोशिएशन, त्रिस्तरीय पंचायतो एवं नगरीय निकायो के पदाधिकारी तथा विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

मध्यप्रदेश राज्य भूमि सुधार आयोग के अध्यक्ष श्री इन्द्रनील शंकर दाणी ने जनप्रतिनिधियों और अधिवक्ताओं की बैठको को पृथक-पृथक संबोधित करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता 1959 में संशोधन करने के लिए आप सभी से सुझाव लिए जा रहे है। इन सुधारो पर अमल करने की पहल की जावेगी। उन्होंने कहा कि भू-राजस्व संहिता 1959 के विषयों को 7 समूहों में बांटकर अधिनियम की धाराओं को एक जगह उल्लेखित करते हुए भूमि सुधार आयोग ने 160 बिंदुओं की मार्गदर्शी प्रश्नावली तैयार की है। इसी आधार पर नए भूमि प्रबंधन अधिनियम के संबंध में सुझाव आयोग द्वारा आमंत्रित किए किए गए है। अध्यक्ष श्री दाणी ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा राजस्व विभाग के कामकाज में कसावट व तेजी लाई जा रही है। साथ ही भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखकर भूमि से संबंधित कानूनों में बदलाव की पहल भी की है। नए भूमि प्रबंधन अधिनियम को लेकर प्रारूप तैयार की जानी है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन या ई-मेल के माध्यम से भी सुझाव दिए जा सकते हैं।
यह सुझाव सामने आए

जिला पंचायत अध्यक्ष रामनारायण हिण्डोलया एवं बार एशोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट श्री नरेन्द्र चौधरी ने सुझाव दिया कि ग्रामीण अंचल में चरनोई भूमि को सुरक्षित रखने के लिये नए अधिनियम में विशेष प्रावधान किए जाएँ। साथ ही अन्य प्रकार की शासकीय भूमि को भी अतिक्रमण मुक्त रखने के अधिनियम में प्रावधान हो। त्रिस्तरीय पंचायतो, नगरीय निकायो एवं बार एशोसिएशन के पदाधिकारियों ने शासकीय प्रयोजन के लिये आरक्षित भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए कानून बनना चाहिए। इसीप्रकार भू-राजस्व संहिता की अनुपयोगी धाराओं व उपबंध हटाए जाएँ, जिससे फैसलों में देरी न हो। बैठक में अधिवक्ताओं ने सुझाव दिया कि राजस्व न्यायालयों के निर्णयों की गुणवत्ता की समीक्षा के लिये एक समिति होना चाहिए। अधिवक्ताओं का यह भी कहना था कि राजस्व न्यायालय के प्रवाचकों को बदलने की रोटेशन पद्धति हो। हर गाँव की आबादी का नक्शा भी होना चाहिए।

इसीप्रकार हर वर्ष खसरा एवं बी-1 की नकल देने, आपसी रजामंदी से खेती की अदला-बदली की प्रक्रिया का सरलीकरण, मुखिया द्वारा अपने जीवित रहते जमीन का बटवारा करने, व्यवसायिक उपयोग में लाई जा रही आबादी जमीन का डायवर्सन करने तथा ग्रामीण क्षेत्र में भी आबादी भूमि का मालिकाना हक देने की दिशा में सुझाव दिए। साथ ही पट्टो की व्यवस्था, पेयजल की दिशा में सुविधा, शासकीय भवनो का उपयोग एवं संरक्षण, गौशाला, लोक सेवा केन्द्र के स्थान पर डायरेक्ट नामांतरण, बटवारा, कम्प्यूटर डाटा एवं मूल डाटा में सुधार, पृथक से टूर अधिकारी, डेस्क अधिकारी के अलग कार्यभार, निगरानी एवं अपील संबंधी प्रकरणो का पृथक से निर्णय बोर्ड, जिसमें 7 सदस्यीय टीम होनी चाहिए।

न्यायालयीन प्रकरणों की मानीटरिंग, आदेश के 15 दिन के पूर्व पटवारी एवं तहसीलदार द्वारा नक्शा एवं खसरा मगवाकर प्रतिलिपि प्रदान करने की व्यवस्था एवं अंतिम आदेश की सुविधा के अलावा बटवारे में नक्शा एवं खसरे के अनुसार अमल, पुत्र-पुत्रियों को समानता का अधिकार आदि के सुझाव दिए। इसीप्रकार बार एशोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट श्री नरेन्द्र चौधरी ने राजस्व अधिकारियों के फेसले की मॉनीटरिंग के लिए बिजीलेंस टीम का गठन किया जावे। इसीप्रकार कम्प्यूटर की फीडिंग की सुविधा विकसित होनी चाहिए। अध्यक्ष श्री चौधरी ने इस अवसर पर आयोग के अध्यक्ष श्री दाणी को सुझाव पत्र भी प्रदान किया।

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