रतलाम जिले में दिव्यांग बच्चों के लिए अधिकाधिक खेल गतिविधियों के आयोजन की जरूरत

0

रतलाम जिले के दिव्यांग विद्यार्थियों का खेल के क्षेत्र में देश-प्रदेश स्तर पर उल्लेखनीय प्रदर्शन परिलक्षित नहीं हो रहा है। आवश्यक है कि जिले में दिव्यांगों के लिए ज्यादा से ज्यादा खेल गतिविधियां आयोजित की जाएं। इसके लिए राशि की कोई कमी नहीं है।

यह निर्देश गत दिवस भोपाल से आए आयुक्त दिव्यांग संचालनालय श्री संदीप रजक ने एक बैठक में दिए। इस अवसर पर अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री दिनेश वर्मा तथा अन्य अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में आयुक्त ने निर्देश दिए कि रतलाम जिले में शासन द्वारा दिव्यांग बच्चों के उत्थान के लिए भरपूर सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। अधिकारी ध्यान देकर दिव्यांगों के उत्थान का कार्य करें, उनको तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराएं जो शासन के द्वारा उपलब्ध हैं।

बताया गया कि स्पर्श पोर्टल पर जिले के 9 हजार 958 दिव्यांग बच्चे दर्ज हैं। आयुक्त ने कहा कि जनसंख्या के मान से यह संख्या कम है। अधिकाधिक प्रयास किए जाकर छूटे बच्चों को चिन्हांकित करें। शालाओं में फाउण्डेशन कोर्स कर चुके शिक्षकों की जानकारी ली गई। आयुक्त ने बताया कि प्रत्येक शिक्षक से फाउण्डेशन कोर्स उत्तीर्ण करने का अनुरोध होता है परन्तु प्रत्येक शाला में कोई एक शिक्षक का फाउण्डेशन कोर्स उत्तीर्ण होना अनिवार्य है। इस कोर्स में दिव्यांग बच्चों से संबंधित गतिविधियों का शिक्षण-प्रशिक्षण होता है।

बताया गया कि जिले के प्रत्येक विद्यालय में दिव्यांग बच्चों के लिए बाधारहित वातावरण के तहत रेम्प बनाए जा चुके हैं। विद्यालयों में ऐसा कोई दिव्यांग बच्चा नहीं है जिसे व्हीचेयर की जरुरत हो। आयुक्त ने दृष्टिहीन बच्चों के लिए 10 दिवसीय ब्रेल ट्रेनिंग संबंधित शिक्षकों को दिलवाने के निर्देश भी दिए। आयुक्त श्री रजक ने रतलाम जिले में एंजियोस की ज्यादा से ज्यादा मदद दिव्यांग कल्याण गतिविधियों में लेने के निर्देश दिए। इस दिशा में जो अक्रिय एनजीओ संलग्न हैं, उन्हें हटाने के लिए भी कहा। उन्होंने जिले में दिव्यांग बच्चों के लिए होस्टल सुविधा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। शासन द्वारा पर्याप्त बजट का प्रावधान किया गया है। भूमि चिन्हांकित करवाकर इसका भवन निर्मित करवाएं।

बैठक में सर्वशिक्षा अभियान के जिला समन्वयक श्री आर.के. त्रिपाठी ने बताया कि दिव्यांग विद्यार्थियों को वार्षिक रुप से ढाई हजार से लेकर साढ़े सात हजार रुपए छात्रवृत्ति अथवा अनुरक्षण भत्ता इत्यादि के रुप में प्रदान किया जा रहा है। दृष्टिबाधित बच्चों को ढाई हजार रुपए ज्यादा मिलते हैं, अन्य दिव्यांगों को पांच हजार रुपए वार्षिक राशि मिलती है। डीपीसी ने बताया कि गत वर्ष जिले में दिव्यांग विद्यार्थियों के अनुरक्षण भत्तों तथा छात्रवृत्ति के रुप में लगभग 35 लाख रुपए की राशि वितरित की गई।

आयुक्त ने बताया कि शासन द्वारा 21 प्रकार की दिव्यांगता का सर्टिफिकेशन किया जाता है। रतलाम जिले में भी सभी प्रकार के दिव्यांग बच्चे चिन्हांकित किए जाकर उनको मेडिकल बोर्ड से प्रमाण पत्र दिलवाया जाए ताकि शासन द्वारा प्रदत्त सुविधाएं उन्हें मिल सकें। उन्होने डीपीसी को निर्देश दिए कि चिकित्सा मूल्यांकन शिविरों में अवश्य पहुंचे। आयुक्त ने यह भी कहा कि जिले के ताल में आगामी 11 सितम्बर को जो उपकरण वितरण शिविर केन्द्र के सामाजिक न्याय विभाग द्वारा आयोजित किया जा रहा है वह शिविर सम्भवतः म.प्र. में अब तक का सबसे ब़डा शिविर होगा। इस शिविर में 1700 दिव्यांगों को सामग्री वितरित की जाएगी।

आयुक्त श्री रजक ने सर्वशिक्षा अभियान के तहत नियुक्त सभी मोबाइल रिसोर्स कन्सलटेंट (एमआरसी) को निर्देश दिए कि वे दिव्यांग बच्चों के लिए संचालित होस्टल में अधिकाधिक बच्चो को एडमिशन दिलवाएं। एमआरसी प्रतिदिन फिल्ड मे जाएं, डीपीसी को भी निर्देशित किया कि वे एमआरसी की मानिटरिंग करे कि वे फिल्ड में जाकर क्या करते हैं। इनकी डेली रिपोर्ट प्राप्त की जाए। एमआरसी का कार्य है कि वे दिव्यांग बच्चों का सर्वे करके स्कूलों में उन्हें भर्ती करवाएं। देखे कि स्कूलों में उनको सुनियोजित ढंग से शिक्षा मिल रही है अथवा नहीं। छात्रवृत्ति भत्ते आदि मिल रहे हैं अथवा नहीं। जिले में ऐसे आठ एमआरसी हैं।

आयुक्त श्री रजक ने बैठक में जिला परियोजना समन्वयक के प्रति इस बात के लिए नाराजगी व्यक्त की कि उनके विभाग द्वारा जिले के सामाजिक न्याय विभाग को दिव्यांग बच्चों के लिए संचालित कार्यक्रमों, योजनाओं के क्रियान्वयन की जानकारी नहीं दी जाती है, वे सामाजिक न्याय विभाग के साथ जानकारियां साझा नहीं करते हैं, जबकि दिव्यांग बच्चों के उत्थान के लिए दोनों विभागों का आपस में समन्वय बहुत जरूरी है।

दिव्यांग विद्यालय का निरीक्षण किया
आयुक्त श्री रजक ने इसके पूर्व एनजीओ जनचेतना परिषद् द्वारा संचालित बधिर एवं मंदबुद्धि दिव्यांग विद्यालय एवं छात्रावास का निरीक्षण किया। निरीक्षण में पुनर्वास प्रयासों, परिसर परिवेश, आवास व्यवस्था पर संतोष व्यक्त करते हुए इनमें उत्तरोत्तर ध्यान देने की जरूरत आयु्क्त ने जताई।

Previous articleराहुल गांधी ने कैलाश मानसरोवर यात्रा की तस्वीर साझा कर लिखा- इनकी शरण में आना सौभाग्य
Next articleबिंजलवाड़ा उद्वहन सिंचाई योजना के लिये नहीं होगा भूमि अधिग्रहण : मुख्यमंत्री श्री चौहान